सुंदरी ने चुपचाप अपने नौकरों से कहा कि सारे संदूक द्वारपाल को दिखाए बगैर अंदर ले जाओ, ऐसा न हो कि वह संदूकों को खोल कर देखे और भेद खुल जाए।
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लेकिन कुछ ही, क्योंकि ज़्यादातर तो जमींदार साहब का ध्यान उसकी तरफ जाता तो किसी को आवाज़ देते, ऐ, ले जाओ ज़रा मुन्ना को घुमा लाओ थोड़ी देर या फ़िर, मुन्ना को अंदर ले जाओ, खाने का या नाश्ते का वक्त हो गया, भूख लगी होगी.